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वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है उसका महत्व ! vasant panchami hindi

 

वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है उसका महत्व, इतिहास, कैसे और कब मनाई जाती है!

 



वसंत पंचमी हिन्दू धर्म द्वारा मनाया जाने वाला धार्मिक पर्व है। इस पर्व को पंचमी और ज्ञान पंचमी का पर्व भी कहाँ जाता है। इस दिन हिन्दू ऋतुओं के राजा वसंत ऋतु का आगमन होता है। इस दिन से पतझड़ का मौसम समाप्त होकर चारों तरफ हरियाली हो जाती है। बसंत ऋतु के आगमन से खेतों में फसलें लहलहाने लगती है और फूल खिलने लगते है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस दिन शिक्षा, ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती जी का जन्म हुआ था। वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विशेष रुप से पूजा की जाती है। इस दिन पिले रंग के वस्त्र पहन कर पिले रंग के फूल देवी माँ को चढ़ाकर पिले रंग के प्रसाद का भोग लगाया जाता है। वो इसलिए पिले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है। वसंत पंचमी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन विद्यार्थियों को पुस्तकें ब्राह्मणों और जरूरतमंद को दान देना काफी फलदायक होता है।

वसंत पंचमी कब मनाई जाती है! Vasant Panchami in Hindi

वसंत पंचमी हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पंचमी तिथि को हर वर्ष वसंत पंचमी मनाई जाती है। और इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। ग्रेगोरी कैलंडर में वसंत पंचमी जनवरी और फरवरी माह में आती है।

 

वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा 2022 में कब है!

वसंत पंचमी 2022 में 5 फरवरी को शनिवार के दिन मनाई जाएगी।


वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है और उसका महत्व ! Vasant Panchami Hindi

वसंत पंचमी हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पंचमी दिनांक को मनाई जाती है। इस दिन ऋतुओं के राजा वसंत ऋतु का आगमन होता है। पूरे वर्ष में 6 ऋतु आती है, जो इस प्रकार है। वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद् ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु है। इन ऋतुओं में वसंत ऋतु को सबसे श्रेष्ठ ऋतु माना गया है। क्योंकि वसंत ऋतु के आगमन से पतझड़ का मौसम समाप्त होकर चारों तरफ हरियाली हो जाती है खेतों में फसलें लहलहाने लगती है और फूल खिलने लगते है। चारों तरफ हरियाली के साथ खुशहाली आने लगती है।

वसंत पंचमी मनाने का पौराणिक महत्व यह है कि इस दिन इस दिन शिक्षा, ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती जी का जन्म हुआ था। वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विशेष रुप से पूजा की जाती है। इस दिन पिले रंग के वस्त्र पहन कर पिले रंग के फूल देवी माँ को चढ़ाकर पिले रंग के प्रसाद का भोग लगाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन विद्यार्थियों को पुस्तकें ब्राह्मणों और जरूरतमंद को दान देना काफी फलदायक होता है। वसंत पंचमी का दिन काफी शुभ दिन माना जाता है। इस दिन विवाह के साथ अन्य शुभ कार्य किये जाते है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करके विद्या बुद्धि, संगीत कला और अध्यात्म का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।


वसंत पंचमी मनाने का दूसरा पौराणिक महत्व यह है। देवी सरस्वती की पूजा सबसे पहले  ब्रह्मा जी और भगवान श्री कृष्ण ने की थी। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में ऐसा कहा गया है। कि देवी सरस्वती ने जब पहली बार श्री कृष्ण जी को देखा तो वह उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो गई और उनसे विवाह करने के लिए इच्छा जाहिर करि। तब श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती से बोला हे देवी में तो पहले से ही राधा के प्रति समर्पित हूँ। मैं तुमसे विवाह तो नहीं कर सकता परन्तु तुम्हें वरदान देता हूँ, विद्या और संगीत कला की इच्छा रखने वाला माघ महीने के शुक्ल पंचमी दिनांक को तुम्हारा पूजन करके तुमसे आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

वसंत पंचमी का पौराणिक इतिहास

बसंत पंचमी की मान्यता का महत्व पौराणिक काल से जुड़ा है। ब्रह्मा जी ने जब ब्रह्माण्ड में मनुष्यों और जीवों की रचना करी तब ब्रह्माण्ड में चारों ओर उदासीनता और वातावरण बिलकुल निर्जन के साथ शांत दिखाई दिया। जैसे संसार में कोई खुशी नहीं जीव जंतुओं में यह देख कर ब्रह्मा जी का मन उदास हो गया। तब ब्रह्मा जी भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से पृथ्वीलोक पर जल छिड़कते है। कमंडल से छिड़के जल में से माघ महीने के शुक्ल पंचमी तिथि को चार भुजाओं वाली देवी सरस्वती उत्पन्न होती है। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में अन्य हाथों में पुस्तक के साथ माला होती है। इसके बाद ब्रह्मा जी देवी सरस्वती से वीणा बजाने की विनती करते है। तब देवी सरस्वती के वीणा बजाने से पृथ्वीलोक में सभी जीव जंतुओं में वाणी और बुद्धि का संचार होता है। जिससे पृथ्वीलोक में फैली हुई उदासीनता दूर हो जाती है और चारों और खुशी का माहौल हो जाता है। देवी सरस्वती ने पृथ्वीलोक के सभी जीव जंतुओं को वाणी के साथ शिक्षा और बुद्धि दी। इसलिए वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

वसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है! Vasant Panchami 2022

वसंत पंचमी को पंचमी, ज्ञान पंचमी और ऋषि पंचमी का पर्व भी कहाँ जाता है। इस दिन को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग पीले वस्त्र पहन कर पीले रंग के फूल माता को चढ़ाकर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा करते है। इसके अलावा लोग अपनी वाद्य यंत्रों के साथ किताब और कलम को पूजते है।


वसंत पंचमी में पीले रंग का क्या महत्व होता है!

वसंत पंचमी में पीले रंग का महत्व इस बात का है कि खेतों में फसलें पकने वाले है। इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक होता है। पिले रंग के प्रयोग से दिमाग़ की सक्रियता में वृद्धि होती है। इस दिन के साथ शुरु होने वाले वसंत ऋतु से खेतों में सरसों सोने की तरह लहलहाने लगती है और फूल खिलने लगते है। इसलिए बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहाँ जाता है। इसलिए वसंत पंचमी में पीले रंग का विशेष महत्व होता है।


 

 

 

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