करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओं का मुख्य त्यौहार है। यह व्रत हिन्दू धर्म की
सुहागन महिलाओं के लिए उनके जीवन में काफी महत्व रखता है। इस दिन सुहागन महिलाये
अपने पति की लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए पूरी श्रदा और भक्ति के साथ करवा
चौथ का व्रत रखती है। इस व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। क्योंकि यह व्रत
निर्जला व्रत है, इसका मतलब यह है कि इस व्रत में अन्न के अलावा पानी का सेवन किये बिना पूर्ण
करना होता है। इस व्रत को महिला सूर्योदय के समय से रखकर शाम को चाँद देखकर पति के
हाथों से जल पीकर समाप्त करती है। इस दिन भगवान शिव, माँ पार्वती , कार्तिकेय, गणेश जी और चंद्रमा जी की पूजा की जाती है।
करवा चौथ कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन होता है इस साल करवा करवा चौथ का व्रत 24 अक्तूबर ,2021रविवार के दिन रखा जाएगा।
करवा चौथ व्रत की पूजा
का शुभ मुहूर्त।
करवा चौथ व्रत में पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त के समय करनी चाहिए, जो बहुत शुभ माना जाता है। अब की बारी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 5 बजकर 43 मिनट से शाम के 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
चाँद निकलने का समय।
करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा को देखकर ही व्रत खोला जाता है। इसलिए चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता। इस दिन चंद्रमा का उदय शाम 08:09 मिनट से शाम के 08:15 पर होने की संभावना है।
करवा चौथ का व्रत कैसे
मनाया जाता है?
पहले हम जानते है, करवा चौथ का क्या अर्थ होता है। करवा का मतलब होता है कोई मिट्टी का बरतन और
चौथ का चतुर्थी का दिन। क्योंकि यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के
दिन होता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले एक भोजन की थाली जिसमें फल,
कुछ मीठा होता है उसे खाकर व्रत की शुरुआत करती है,
जिसे सरगी कहते है। सरगी उन्हें उनकी सास देती है,
जिनकी सास नहीं होती वह किसी भी बुजुर्ग महिला से सरगी लेती
है। इसके बाद महिलाएं पूरे दिन अन्न और पानी का सेवन किए बिना व्रत रखती है। शाम
को महिलाएं पूजा की थाली को सजा कर जिसमें जल से भरा करवा,
दिया, धूप, फल,
मिठाई लेकर अन्य महिलाओं के साथ गोल घेरा बनाकर करवा चौथ
व्रत की कथा सुनती है और पूजा की थाली को एक दूसरे के साथ बदलती है। उसके बाद
चंद्रमा निकलने पर छलनी से चाँद को देखकर पति की आरती करती है फिर पति के हाथों से
जल पीकर अपना व्रत खोलती है।
करवा चौथ व्रत का सुहागन महिलाओं को बेसब्री से इंतजार होता है इसका आकर्षण
उनके चेहरे पे साफ झलकता है कि वह इसका इतना इंतजार क्यों करती है। इस दिन वह
हाथों में मेहंदी लगाकर ,नए वस्त्र और आभूषण पहनकर 16 श्रृंगार करती है।
करवा चौथ व्रत की कथा
प्राचीन काल में एक ब्राह्मण के 7 लड़के और 1 लड़की थी. जिसका नाम वीरावती था। 7
भाइयों की इकलौती बहन होने के कारण वह वीरावती से बहुत प्रेम करते थे. वीरावती
शादी के बाद अपने घर आई हुई थी. तब वीरावती
ने अपनी भाभियों के साथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन श्रदा -भक्ति से करवा चौथ का व्रत रखा. उसने
सूर्योदय के बाद से अन्न और जल का सेवन नहीं किया था. जब सारे भाई शाम को एक साथ
भोजन करने के लिए बैठे तब उन्होंने वीरावती से भोजन करने को कहा।
उन्होंने अपने भाइयों को बताया कि मैंने आज करवा चौथ का व्रत रखा है, चंद्रमा आने के बाद ही जल और भोजन को ग्रहण
करूँगी। यह बात सुनकर उनके भाई बहुत परेशान हो गए,
वह सोचने लगे बहन ने पूरे दिन में पानी तक नहीं पिया है उसे
प्यास और भूख लगी होगी। लेकिन वह चंद्रमा निकलने के बाद ही जल और अन्न का सेवन
करेगी कही उसे कुछ ना हो जाए। फिर एक भाई पीपल के पेड़ पर ऊपर चढ़कर दीपक जलाकर उसे
छलनी की आड़ में रख देता है। दूर से देखने पर दीपक एकदम चांद की तरह दिखता। तभी एक
भाई अपनी बहन को आवाज देता है कि चांद निकल गया। तुम पूजा करके भोजन ग्रहण कर सकती
हो।
यह बात सुनकर वीरावती ने दीपक को चांद समझकर उसकी पूजा करके भोजन खा लेती है। कुछ ही समय बाद उनको अपने पति की मृत्यु की खबर मिलती है। यह खबर सुनकर वीरावती दुखी होकर बिलख - बिलख कर रोने लगी। यह दुःख भगवान इंद्र की पत्नी इंद्राणी से देखा नहीं गया। उन्होंने धरती पे आकर वीरावती को पूरी सच्चाई से अवगत कराया और कहा तुमने चंद्रमा के दर्शन किये बिना व्रत खोला है इसलिए तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। वीरावती ने अपने पति की रक्षा के लिए इंद्राणी से प्रार्थना करी फिर देवी इंद्राणी ने वीरावती से कहा तुम हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवा चौथ के व्रत को पूरी श्रदा - भक्ति और नियमपूर्वक रखने का वचन दो तो तुम्हारे पति जीवित हो जाएंगे। वीरावती देवी इंद्राणी को वचन देती है वह हर साल चतुर्थी के दिन भगवान की पूजा पूरी श्रदा और नियमपूर्वक करेगी। देवी इंद्राणी को दिए वचन को पूरा करने के लिए वीरावती ने पूरे एक साल अपने पति के शव के साथ रही. फिर एक साल बाद जब करवा चौथ का व्रत आया तो उन्होंने व्रत को पूरी श्रदा - भक्ति और नियमपूर्वक रखा। इस से प्रसन्न होकर भगवान ने उनके पति को पुन: जीवित करके सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया।
करवा चौथ व्रत की पूजा सामाग्री की लिस्ट
करवा चौथ व्रत को पुरे विधिविधान से करना चाहिए। जिमसे पूजा की सामाग्री का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। जो इस प्रकार होनी चाहिए।
1. भगवान शिव, माँ पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और करवा माता की फोटो, 2. कच्चा दूध, 3.कुमकुम, 4. चंदन , 5. शहद, 6.अगरबत्ती, 7. टूटी दार करवा और उसके ऊपर ढक्कन, 8.शक्कर, 9. शुद्ध घी, 10. दही, 11. मिठाई और फल 12.कच्चे चावल, 13. गंगाजल, 14. बिंदी , 15. कंघा, 16. चुनरी, 17. बिछुआ, 18. चूड़ी, 19. मेहंदी, 20. फूल माला, 21. दीपक, 22. रुई , 23. कपूर, 24. जल भरा लोटा, 25. हल्दी, 26. गेहूं, 27. शक्कर का बुरा, 28. छलनी, 29. गौरी बनाने के लिए पिली मिट्टी, 30.आठ पुरियों की अठवारी, 31. लकड़ी का आसन, 32. हलवा, 33. दान के लिए कुछ पैसे
करवा चौथ के व्रत के लिए इन सामाग्री की ज़रूरत होती है। इसलिए यह सारी सामाग्री व्रत के एक दिन पहले इक्ठा कर लेना चाहिए।
प्रश्न उत्तर
प्रश्न - करवा चौथ कब है 2021
उत्तर - 24 अक्तूबर ,2021 रविवार को
प्रश्न - करवा चौथ हिन्दू पंचांग में कब होता है
उत्तर - कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन
प्रश्न - करवा चौथ में कौन से भगवान की पूजा की जाती है
उत्तर - भगवान शिव, माँ पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिक और चंद्रमा की
प्रश्न - करवा चौथ 2021 की पूजा का शुभ मुहूर्त
उत्तर - शाम 05.43 से
06.59 तक
प्रश्न - चाँद निकलने का समय
उत्तर - शाम 08.09 से 08.15
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